एक शांतिपूर्ण भारतीय गांव में विनय नाम का एक दयालु लड़का रहता था। वह अपने मददगार स्वभाव के लिए जाने जाते थे। सब उसे बहुत पसंद करते थे।
एक दिन, एक बूढ़ी औरत गाँव में चली गई। वह अकेली रहती थी और उसका कोई परिवार नहीं था। वह अक्सर अपने काम को लेकर जद्दोजहद करती नजर आती थीं।
विनय ने यह देखा और उदास हो गया। वह बूढ़ी औरत के घर गया। “क्या मैं आपके काम में आपकी मदद कर सकता हूँ?” उसने उससे पूछा।
बूढ़ी औरत हैरान रह गई। “तुम मेरी मदद क्यों करना चाहते हो, जवान लड़के?” उसने विनय से पूछा। विनय मुस्कुराया, “क्योंकि मदद करना अच्छा लगता है।”
तो विनय ने वृद्ध महिला की मदद करनी शुरू कर दी। वह उसे किराने का सामान लाता और उसके घर को साफ करने में मदद करता। उन्होंने इसे खुशी और सम्मान के साथ किया।
यह देख उसके दोस्त उस पर हंस पड़े। “तुम उसकी मदद क्यों करते हो, विनय?” उन्होंने पूछा। “आपको बदले में कुछ भी नहीं मिलता है।”
विनय ने बस इतना कहा, “किसी की मदद करने के लिए इनाम की आवश्यकता नहीं होती है।” उसके दोस्तों को यह बात समझ नहीं आई। उन्हें लगा कि विनय अपना समय बर्बाद कर रहा है।
एक दिन गाँव में भयंकर सूखा पड़ा। पानी की किल्लत हो गई थी। हर कोई चिंतित था और समझ नहीं पा रहा था कि क्या किया जाए।
बूढी औरत, जो कभी किसी शहर में रहती थी, पानी बचाने की एक तकनीक जानती थी। उसने इसे विनय को पढ़ाने का फैसला किया।
विनय ने विधि सीखी और फिर पूरे गाँव को सिखाई। इसने गांव को एक बड़े संकट से उबार लिया। सभी को राहत मिली और आभारी थे।
उसके दोस्तों को अपनी गलती का एहसास हुआ। वे समझ गए कि विनय की दया समय की बर्बादी नहीं है। उनके लिए यह एक मूल्यवान सीख थी।
ग्राम प्रधान ने विनय की बुद्धिमत्ता की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, “विनय, आप सभी के लिए एक मिसाल हैं। आपके मददगार स्वभाव ने हमारे गाँव को बचा लिया।”
विनय ने मुखिया का धन्यवाद किया, लेकिन उसने वृद्ध महिला का अधिक धन्यवाद किया। अगर उसने उसकी मदद नहीं की होती, तो गांव को संकट का सामना करना पड़ता।
उस दिन से, विनय सिर्फ दयालु लड़का नहीं था। वह बुद्धिमान और दयालु लड़का था। उसके दोस्तों ने भी दया की कदर करना सीखा।
This Hindi Moral Story Says That:
इस कहानी की शिक्षा यह है कि दयालुता के प्रत्येक कार्य का अपना प्रतिफल होता है। यह भौतिकवादी नहीं होना चाहिए। दया ज्ञान और प्रेम फैलाती है।